झूमकर आज सारे देखो बहते समुद्र की शान कश्ती,
देखो नाविक ला रहा ह सपनो मैं बांधकर सावन की मस्ती
नाव पे बैठी भीगी आंखे सावन के नगमे सुना रही हैं,
जैसे मानो सावन की यादों की प्यास भुझा रही हैं।।
एक कागा, भीचकर धड़कन में सावन का संदेशा ले आया है,
खुद ही बतलाता ,ये तो सिर्फ सावन का साया है
मंजर अब खूबसूरती का, सांसों मै शब्द सींच रहा ह,
जैसे मानो सावन की मुस्कुराहट का राज खोल रहा है।।
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