कियारियों की दावत

बेगाना सा सफर,...बंजारा ही तो हूं

बोझ सा धरती पे, बेचारा ही तो हूं

कुछ दलदल है,कुछ भारीपन,कुछ गुस्सा ही तो है

कुछ लियाकत है,कुछ शिकायत है, बेहोशी मे टूटा कुछ हिस्सा ही तो हूं

किया बयां करूं लब्ज़,कियारियों की दावत मे

कांटे चुभ रहे है,किसी फूल की चाहत मे

थम सा गया हूं, थम जा अब तू भी

मर सा गया हूं, तू जी ले अब यूं ही।।

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Raghuvansh Bhardwaj

Student, i write poetries both in english and hindi