राजनीति

राजनीति का भार आखिर कौन ले देगा?

लेगा वही, जो कमान के बाण से शूल को भेदेगा

ये शूल तो बकायदा चमड़ी तक सीमित था

बाण को दिल भेद देख , मैं तो चकित था

राजनिति के कमान का फिर सदुपयोग क्या है?

आजकल जेबें ख़ाली करने और भरने में फर्क किया है

ये अनपढ़ का भरोसा है, या पढ़े लिखे अनपढ़ की चापलूसी

ये चुनावी पासा है या अनपढ़ों की कुर्सी।।

Write a comment ...

Raghuvansh Bhardwaj

Student, i write poetries both in english and hindi