"मन चंचल है "

अंतर्मन धड़कन है, मन चंचल है

शांत अब कण-कण है,मन चंचल है

राते चीर इस व्यथा,आत्मसमर्पण धड़कन करेगी

धड़केगी नए शरीर मे,और चंचलता का इंतजार करेगी

जागरूक मन जागरण में चूक जाता

राते फिर धक्का लगती, खुद को मैं संभाल नहीं पाता

टूटता सा तन है, मन चंचल है

बिखरता सा अब मन है ,मन चंचल है

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Raghuvansh Bhardwaj

Student, i write poetries both in english and hindi